परदे के पीछे की असल कहानी: जब स्टारडम ने बदल दी रिश्तों की परिभाषा!

परदे के पीछे की असल कहानी: जब स्टारडम ने बदल दी रिश्तों की परिभाषा!

बॉलीवुड की चकाचौंध दुनिया जितनी बाहर से चमकीली लगती है

 

vidhu vinod chopra: बॉलीवुड की चकाचौंध दुनिया जितनी बाहर से चमकीली लगती है, उतनी ही अंदर से जटिल और भावनात्मक भी होती है। फिल्म निर्माता विदु विनोद चोपड़ा, जो ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’, ‘लगे रहो मुन्ना भाई’, ‘3 इडियट्स’ जैसी सुपरहिट फिल्मों के पीछे की क्रिएटिव ताकत हैं, हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिसने इंडस्ट्री को सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने दो सुपरस्टार्स, ऋतिक रोशन और विद्या बालन, के बारे में एक चौंकाने वाला बयान दिया कि कैसे दोनों स्टारडम के बाद पूरी तरह बदल गए।

जिस दिन सुपरस्टार बने, उसी दिन बदल गए"

विदु विनोद चोपड़ा ने कहा: "जब तक वो स्ट्रगल कर रहे थे, वो लोग हर दिन मुझे फोन करते थे, सलाह लेते थे, बातचीत करते थे। लेकिन जिस दिन वो स्टार बने... उसी दिन से वो दूर हो गए।" उनके इस बयान ने ऋतिक रोशन और विद्या बालन जैसे बड़े नामों की चमक के पीछे के रिश्तों की हकीकत को सामने ला दिया। चोपड़ा की आवाज़ में कोई गुस्सा नहीं था, बस एक गहरी निराशा और भावनात्मक पीड़ा थी।

विद्या बालन: जिसने स्ट्रगल में पाई थी चोपड़ा फैमिली की मदद

विद्या बालन के बारे में चोपड़ा ने बताया कि जब वो इंडस्ट्री में नई थीं और संघर्ष कर रही थीं, तब उन्होंने और उनकी पत्नी अनुपमा चोपड़ा ने विद्या को सपोर्ट किया। विद्या अक्सर उनके घर आती थीं, खाना खाती थीं, बातचीत करती थीं। लेकिन अब, सालों हो गए हैं, न कोई कॉल आता है और न ही कोई मेल।

ऋतिक रोशन: ‘मिशन कश्मीर’ से बना रिश्ता, लेकिन फिर…

ऋतिक रोशन को विदु विनोद चोपड़ा ने ‘मिशन कश्मीर’ में ब्रेक दिया था। उस समय ऋतिक रोज़ाना उनके ऑफिस आया करते थे, सलाह लेते थे, चर्चा करते थे। चोपड़ा को भरोसा था कि यह रिश्ता सिर्फ काम का नहीं, बल्कि व्यक्तिगत भी है। लेकिन आज… एक फोन कॉल भी नहीं।“ऋतिक का नंबर आज भी मेरे फोन में सेव है, लेकिन अब वो कॉल नहीं करते।”

क्या स्टारडम इंसान को बदल देता है?

विदु विनोद चोपड़ा के अनुभव से यह सवाल एक बार फिर उठता है कि क्या बॉलीवुड की चमक इंसानों को रिश्तों से दूर कर देती है? क्या सफलता एक ऐसी दीवार खड़ी कर देती है जिसके पार पुराने लोग धुंधले हो जाते हैं? ऋतिक और विद्या जैसे स्टार्स ने जो ऊंचाइयां पाई हैं, उसमें उनका टैलेंट ज़रूर है, लेकिन जो लोग उस टैलेंट को मंच देते हैं, उन्हें भुला देना क्या सही है?

चोपड़ा का नजरिया: शिकायत नहीं, सच्चाई की झलक

विदु विनोद चोपड़ा का यह इंटरव्यू कोई गिला-शिकवा नहीं, बल्कि एक इंडस्ट्री की सच्चाई का आईना था। उन्होंने न तो विद्या बालन को दोषी ठहराया, न ही ऋतिक रोशन को। लेकिन यह जरूर दिखाया कि स्टारडम कभी-कभी इंसानों को खुद से ही दूर कर देता है। उनकी बातों में गौरव था कि उन्होंने इन सितारों को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में भूमिका निभाई, लेकिन साथ ही दुख भी था कि वही सितारे अब उन्हें भूल चुके हैं।